बाल एवं युवा साहित्य >> दुनिया जब नई नई थी दुनिया जब नई नई थीवेरियर एल्विन
|
2 पाठकों को प्रिय 12 पाठक हैं |
भारत के पहाड़ों एवं वनों की लोककथाएं
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
भारत के पर्वतों और वनों में लगभग तीन करोड़ जनजाति लोग निवास करते हैं। ये अनेकानेक वंशों के हैं और इनकी संस्कृति में बहुत तरह के धर्म, सामाजिक संस्थायें, पोशाक और भाषायें शामिल हैं। विख्यात नृतत्वविद् डॉ. वेरियर एल्विन लम्बे समय से उनकी लोककथाओं और मिथकों का संकलन करते रहे। इस पुस्तक में उन्होंने उनमें से कुछ को रखा है जिन्हें ठीक उसी रूप में लिखा गया था जैसे सुनाने वालों ने उसे सुनाया था।
इनमें से कुछ कई सौ वर्ष से अपने चारों ओर की सभ्यता से परिचित रहे हैं और कुछ दूसरे इससे पूरी तरह कटे रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि कुछ कहानियों पर तो भारतीय लोककथाओं की अमरकृतियों, जैसे पंचतंत्र, जातक कथाओं, कथा सरित सागर आदि का प्रभाव है पर दूसरी अनेक मौलिक और नई हैं और जहाँ उनमें साझी परम्परा से कोई विषय चुना गया है वहाँ पर भी उन्हें एक अलग ही भंगिमा दे दी गई है। जनजाति कथाओं में शायद ही कोई कथा हो जिसमें उपदेश देने के प्रयत्न किया गया हो, पर इनका अपना मज़ा और उत्तेजना तो है ही, एक ऐसी रम्यता और ताज़गी भी है जो उनके जीवन की निर्वधता और उल्लास को और उनके परिवेश के सौन्दर्य को भी प्रकट करती है।
इनमें से कुछ कई सौ वर्ष से अपने चारों ओर की सभ्यता से परिचित रहे हैं और कुछ दूसरे इससे पूरी तरह कटे रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि कुछ कहानियों पर तो भारतीय लोककथाओं की अमरकृतियों, जैसे पंचतंत्र, जातक कथाओं, कथा सरित सागर आदि का प्रभाव है पर दूसरी अनेक मौलिक और नई हैं और जहाँ उनमें साझी परम्परा से कोई विषय चुना गया है वहाँ पर भी उन्हें एक अलग ही भंगिमा दे दी गई है। जनजाति कथाओं में शायद ही कोई कथा हो जिसमें उपदेश देने के प्रयत्न किया गया हो, पर इनका अपना मज़ा और उत्तेजना तो है ही, एक ऐसी रम्यता और ताज़गी भी है जो उनके जीवन की निर्वधता और उल्लास को और उनके परिवेश के सौन्दर्य को भी प्रकट करती है।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book